आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं By Sher << जब आ रही हैं बहारें लिए प... अब आ गई है सहर अपना घर सँ... >> आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं Share on: