आए हो घर से उठ कर मेरे मकाँ के ऊपर By Sher << ज़मीं के जिस्म को टुकड़ों... किसी को रश्क आए क्यूँ न क... >> आए हो घर से उठ कर मेरे मकाँ के ऊपर की तुम ने मेहरबानी बे-ख़ानुमाँ के ऊपर Share on: