आदमी से आदमी की जब न हाजत हो रवा By Sher << मुझे इस ख़्वाब ने इक अर्स... दिल-रुबा तुझ सा जो दिल ले... >> आदमी से आदमी की जब न हाजत हो रवा क्यूँ ख़ुदा ही की करे इतनी न फिर याद आदमी Share on: