आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हम By Sher << दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया... अजीब ख़्वाब था ताबीर क्या... >> आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हम सब कुछ कहा मगर न खुले राज़-दाँ से हम Share on: