आज भी नक़्श हैं दिल पर तिरी आहट के निशाँ By Sher << बाग़-ए-हवस में कुछ नहीं द... हम से पूछो मिज़ाज बारिश क... >> आज भी नक़्श हैं दिल पर तिरी आहट के निशाँ हम ने उस राह से औरों को गुज़रने न दिया Share on: