आज फिर दब गईं दर्द की सिसकियाँ By Sher << अपने दुख में रोना-धोना आप... आज न हम से पूछिए कैसा कमा... >> आज फिर दब गईं दर्द की सिसकियाँ आज फिर गूँजता क़हक़हा रह गया Share on: