आज हो जाने दो हर एक को बद-मस्त-ओ-ख़राब By Sher << अब मिरा ध्यान कहीं और चला... बढ़ गया है इस क़दर अब सुर... >> आज हो जाने दो हर एक को बद-मस्त-ओ-ख़राब आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे Share on: