आज से इक दूसरे को क़त्ल करना है हमें By Sher << एक उसी को देख न पाए वर्ना... बुरा हो आईने तिरा मैं कौन... >> आज से इक दूसरे को क़त्ल करना है हमें तू मिरा पैकर नहीं है मैं तिरा साया नहीं Share on: