आज तक दैर-ओ-हरम में तेग़ ही चलती रही By Sher << बे-ख़ुदी में हम तो तेरा द... हर एक कूचा है साकित हर इक... >> आज तक दैर-ओ-हरम में तेग़ ही चलती रही लाख हम-रिंदों ने चाहा शीशा-ओ-साग़र चलें Share on: