आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से By Sher << यहाँ तो चारों तरफ़ क़त्ल ... ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नारा... >> आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम Share on: