आँखों में है लिहाज़ तबस्सुम-फ़िज़ा हैं लब By Sher << अंगड़ाई दोनों हाथ उठा कर ... न रहा कोई तार दामन में >> आँखों में है लिहाज़ तबस्सुम-फ़िज़ा हैं लब शुक्र-ए-ख़ुदा के आज तो कुछ राह पर हैं आप Share on: