आमद-ओ-शुद कूचे में हम उस के क्यूँ न करें मानिंद-ए-नफ़स By Sher << चला जाता हूँ हँसता खेलता ... सत्ह-ए-दरिया पर उभरने की ... >> आमद-ओ-शुद कूचे में हम उस के क्यूँ न करें मानिंद-ए-नफ़स ज़िंदगी अपनी जानते हैं इस वास्ते आते जाते हैं Share on: