आपसी रिश्तों की ख़ुशबू को कोई नाम न दो By Sher << हज़ार बार निगाहों से चूम ... कोई मौसम भी सज़ा-वार-ए-मो... >> आपसी रिश्तों की ख़ुशबू को कोई नाम न दो इस तक़द्दुस को न काग़ज़ पर उतारा जाए Share on: