आस पे तेरी बिखरा देता हूँ कमरे की सब चीज़ें By Sher << अब आप ख़ुद ही बताएँ ये ज़... आरज़ू थी खींचते हम भी कोई... >> आस पे तेरी बिखरा देता हूँ कमरे की सब चीज़ें आस बिखरने पर सब चीज़ें ख़ुद ही उठा के रखता हूँ Share on: