आशिक़ों को नफ़अ कब है इंक़िलाब-ए-दहर से By Sher << ख़्वाब में तोड़ता रहता हू... इन दरख़्तों से भी नाता जो... >> आशिक़ों को नफ़अ कब है इंक़िलाब-ए-दहर से हम वही बंदे रहेंगे बुत ख़ुदा हो जाएँगे Share on: