आते जाते मौसमों का सिलसिला बाक़ी रहे By Sher << हादसों की मार से टूटे मगर... मय-कशी के भी कुछ आदाब बरत... >> आते जाते मौसमों का सिलसिला बाक़ी रहे रोज़ हम मिलते रहें और फ़ासला बाक़ी रहे Share on: