अब आसमाँ से सहीफ़े नहीं उतरते मगर By Sher << मस्जिद में गर गुज़र न हुआ... और भी कितने तरीक़े हैं बय... >> अब आसमाँ से सहीफ़े नहीं उतरते मगर खुला हुआ है दर-ए-इज्तिहाद सब के लिए Share on: