अब दुआओं के लिए उठते नहीं हैं हाथ भी By Sher << देख आईना जो कहता है कि अल... चमकते चाँद से चेहरों के म... >> अब दुआओं के लिए उठते नहीं हैं हाथ भी बे-यक़ीनी का तो आलम था मगर ऐसा न था Share on: