अब ए'तिबार नहीं मेरी जाँ किसी का नहीं By Sher << अब इख़्तियार ज़माने पे है... आँगन का आहट से रिश्ता और ... >> अब ए'तिबार नहीं मेरी जाँ किसी का नहीं चराग़ सब के लिए है धुआँ किसी का नहीं Share on: