अब इबादत में भी आ जाते हो लब पर मेरे By Sher << इक मुसलसल दौड़ में हैं मं... ये रोग लगा है अजब हमें जो... >> अब इबादत में भी आ जाते हो लब पर मेरे इतना पढ़ता हूँ तुम्हें हिज्र के लम्हों में कि बस Share on: