अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ By Sher << क़ुर्ब नस नस में आग भरता ... अकेला हो रह-ए-दुनिया में ... >> अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ इस शिकारे को अगर फूलों से ढक सकता हूँ मैं Share on: