अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से By Sher << बंद कर दे कोई माज़ी का दर... अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ... >> अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से वर्ना इक ख़्वाब जो आँखों में है मर जाएगा Share on: