अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है By Sher << वो उन का व'अदा वो ईफ़... बिक जाता हूँ हाथों-हाथ >> अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है वो रौशनी जो घर में बेकार लग रही थी Share on: