अब मैं हूँ मिरी जागती रातें हैं ख़ुदा है By Sher << इंसाँ की ख़्वाहिशों की को... तू ने एक उम्र के बाद पूछा... >> अब मैं हूँ मिरी जागती रातें हैं ख़ुदा है या टूटते पत्तों के बिखरने की सदा है Share on: