अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम By Sher << दर्द का सिलसिला है जहाँ त... अब चराग़ों में ज़िंदगी कम... >> अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम निकहत-ए-ज़ुल्फ़ क्या हुई बाद-ए-सबा को क्या हुआ Share on: