अब तो दीवानों से यूँ बच के गुज़र जाती है By Sher << बादबानों में भरी है इस के... जनाज़े वालो न चुपके क़दम ... >> अब तो दीवानों से यूँ बच के गुज़र जाती है बू-ए-गुल भी तिरे दामन की हवा हो जैसे Share on: