अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है By Sher << हमें माशूक़ को अपना बनाना... अपनी साँसें मिरी साँसों म... >> अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते Share on: