अब तो सँवारने के लिए हिज्र भी नहीं By Sher << हिफ़ाज़त हर किसी की वो बड... मैं था किसी की याद थी जाम... >> अब तो सँवारने के लिए हिज्र भी नहीं सारा वबाल ले के ग़ज़ल कर दिया गया Share on: