अब तू दरवाज़े से अपने नाम की तख़्ती उतार By Sher << इक ज़रा चैन भी लेते नहीं ... ग़र्क़ होते जहाज़ देखे है... >> अब तू दरवाज़े से अपने नाम की तख़्ती उतार लफ़्ज़ नंगे हो गए शोहरत भी गाली हो गई Share on: