अब तुम भी ज़रा हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ को रोको By Sher << इधर तो तूल दिया है उमीद क... रंजिशें ऐसी हज़ार आपस में... >> अब तुम भी ज़रा हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ को रोको हम तो दिल-ए-बेताब को समझाए हुए हैं Share on: