नई मोहब्बतें 'ख़ालिद' पुरानी दोस्तियाँ By Sher << बे-दीन हुए ईमान दिया हम इ... आँख खुल जाए तो घर मातम-कद... >> नई मोहब्बतें 'ख़ालिद' पुरानी दोस्तियाँ अज़ाब-ए-कशमकश-ए-बे-अमाँ में रहते हैं Share on: