अभी तो पहले परों का भी क़र्ज़ है मुझ पर By Sher << हवा चली तो फिर आँखों में ... कौन है तुझ सा जो बाँटे मि... >> अभी तो पहले परों का भी क़र्ज़ है मुझ पर झिजक रहा हूँ नए पर निकालता हुआ मैं Share on: