अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था By इश्क़, चराग़, रात, दिल, Sher << तिरे फ़िराक़ की सदियाँ ति... तमाम उम्र सितारे तलाश करत... >> अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था चराग़ तू ने जलाया तो दिल बुझा मेरा Share on: