जब सफ़र 'अफ़सर' कभी करते नहीं By Sher << यारब तू मुझे मेरे गुनाहों... हिज्र कहते हैं किसे ये मु... >> जब सफ़र 'अफ़सर' कभी करते नहीं देखे फिर क्यूँ हो तुम मंज़िल के ख़्वाब Share on: