अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में By मज़हब, Sher << अच्छे-ख़ासे लोगों पर भी व... ऐ शहर-ए-सितम छोड़ के जाते... >> अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में तो शैख़ ओ बरहमन पिन्हाँ रहें दैर ओ मसाजिद में Share on: