अगर तू शोहरा-ए-आफ़ाक़ है तो तेरे बंदों में By Sher << मरने के दिन क़रीब हैं शाय... ये सोच कर भी हँस न सके हम... >> अगर तू शोहरा-ए-आफ़ाक़ है तो तेरे बंदों में हमें भी जानता है ख़ूब इक आलम मियाँ-साहिब Share on: