अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल By Sher << ऐ 'हफ़ीज़' आह आह ... अहबाब का शिकवा क्या कीजिए... >> अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल कौन तिरी तरह 'हफ़ीज़' दर्द के गीत गा सके Share on: