अहल-ए-जन्नत मुझे लेते हैं न दोज़ख़ वाले By Sher << कोई आता है या नहीं आता सैकड़ों पुल बने फ़ासले भी... >> अहल-ए-जन्नत मुझे लेते हैं न दोज़ख़ वाले किस जगह जा के तुम्हारा ये गुनहगार रहे Share on: