अहल-ए-ख़िरद इसे न समझ पाएँगे 'फ़क़ीह' By Sher << आज हम दार पे खींचे गए जिन... अब यहाँ कौन निकालेगा भला ... >> अहल-ए-ख़िरद इसे न समझ पाएँगे 'फ़क़ीह' कुछ मसअले हैं मावरा फ़तह ओ शिकस्त से Share on: