ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़' By Sher << देता है रोज़ रोज़ दिलासे ... आशिक़ों की रूह को ता'... >> ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़' रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़ Share on: