वो दे रहा था तलब से सिवा सभी को 'ख़याल' By Sher << बहुत काम लेने हैं दर्द-ए-... फ़क़त ज़मान ओ मकाँ में ज़... >> वो दे रहा था तलब से सिवा सभी को 'ख़याल' सो मैं ने दामन-ए-दिल और कुछ कुशादा किया Share on: