एक मुद्दत से उसे देख रहा हूँ 'अहमद' By Sher << चाहे हैं तमाशा मिरे अंदर ... ग़म-ए-हबीब ग़म-ए-ज़िंदगी ... >> एक मुद्दत से उसे देख रहा हूँ 'अहमद' और लगता है अभी एक झलक देखा है Share on: