ऐसा दिल-कश था कि थी मौत भी मंज़ूर हमें By Sher << बात तेरी सुनी नहीं मैं ने सूरज चढ़ा तो पिघली बहुत च... >> ऐसा दिल-कश था कि थी मौत भी मंज़ूर हमें हम ने जिस जुर्म की काटी है सज़ा ज़िंदाँ में Share on: