अज़मत-ए-कअबा मुसल्लम है मगर बुत-कदा में By Sher << जहाँ तक डूबने का डर है तु... ग़म से एहसास का आईना जिला... >> अज़मत-ए-कअबा मुसल्लम है मगर बुत-कदा में एक आराम ये कैसा है कि कुछ दूर नहीं Share on: