अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का By Sher << नाम इस का आमरियत हो कि हो... गर शैख़ अज़्म-ए-मंज़िल-ए-... >> अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का उसे बहाना मिला मुझ से बात करने का Share on: