अजीब वहशतें हिस्से में अपने आई हैं By Sher << आसमाँ खाए तो ज़मीन देखे अपना साया तो मैं दरिया मे... >> अजीब वहशतें हिस्से में अपने आई हैं कि तेरे घर भी पहुँच कर सकूँ न पाएँ हम Share on: