अज़िय्यतों की भी अपनी ही एक लज़्ज़त है By Sher << बहुत साबित-क़दम निकलें गए... अल्लाह के घर देर है अंधेर... >> अज़िय्यतों की भी अपनी ही एक लज़्ज़त है मैं शहर शहर फिरूँ नेकियाँ तलाश करूँ Share on: