अजनबी ख़ुशबू की आहट से महक उट्ठा बदन By Sher << मैं ने माँगी थी उजाले की ... अहल-ए-दिल ने किए तामीर हक... >> अजनबी ख़ुशबू की आहट से महक उट्ठा बदन क़हक़हों के लम्स से ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ रौशन हुआ Share on: