अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था By Sher << मुझे तन्हाई की आदत है मेर... ये सफ़र अपना कहीं जानिब-ए... >> अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था इश्क़ ने दिल में रौशनी की है Share on: