मैं हूँ क्या चीज़ जो उस तर्ज़ पे जाऊँ 'अकबर' By मीर तक़ी मीर, Sher << ज़रा देख आइना मेरी वफ़ा क... इब्तिदा वो थी कि जीना था ... >> मैं हूँ क्या चीज़ जो उस तर्ज़ पे जाऊँ 'अकबर' 'नासिख़' ओ 'ज़ौक़' भी जब चल न सके 'मीर' के साथ Share on: